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पालि भाषा एवं साहित्य का सार संग्रह
€ 12.00
Author(s)
:
डा० ब्रजभूषण प्रसाद सिंह
ISBN
:
978-3-96492-612-8
Language
:
Hindi
Pages
:
68
Publication Year
:
2019
Publisher
:
Weser Books
Seller
:
Weser Books
In stock
DESCRIPTION
भाषा, साहित्य, इतिहास, धर्म, संस्कृति तथा दर्शन आदि सभी विषयों की दृष्टि से पालिभाषा और उसमें निहित वाङ्मय का अध्ययन अत्यंत उपादेय है। बुद्ध-वचनों का सार त्रिपिटक में संगृहीत है। बुद्ध के निर्वाणकाल से प्रथम शताब्दी 10 पू० तक का समय 'त्रिपिटक साहित्य' का युग माना जाता है। इस बीच सुत्त, विनय और अभिधम्म पिटक के अन्तर्गत बुद्ध के उपदेशों, अनुशासनों तथा 'आध्यात्मि विषयों को संचित किया गया। प्रथम शताब्दी ई० पू० के बाद का युग अनुपिटर साहित्य' के लेखन का है। अट्टथाएँ (अर्थकथाएँ), वंस साहित्य (वंश साहित्य), काव्य, व्याकरण; कोश, अभिलेख आदि इसी युग की उपलब्धियाँ हैं। इस प्रकार पालि साहित्य जहाँ बौद्धों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ, वहीं इतिहासकारों, भाषाविदों और साहित्य मर्मज्ञों के लिए गवेषणा का विषय बना।
प्रस्तुत संकलन के भूमिका भाग में पालिभाषा और साहित्य के सैद्धांतिक तथा विकासात्मक स्थितियों का परिचय देकर विषय वस्तु को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। पालि साहित्य के अध्ययन के विविध पहलुओं पर विचार करते हुए ही पालि पाठ्यांशों का संकलन किया गया है। साथ ही भाषागत वैशिष्ट्य के अनुशीलन के लिए अपेक्षित पालि व्याकरण आवश्यक टिप्पणियाँ भी जोड़ दी गयी हैं। आशा है प्रस्तुत संग्रह पालि भाषा और साहित्य के अनुशीलन में सार्थक हो सकेगा। नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।